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सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ऐसे तो क्राइम कंट्रोल के कई दावे करते हैं लेकिन बिहार में क्राइम का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है. आंकड़ों के अनुसार बिहार के 15 जिलों में सबसे ज्यादा मर्डर होते हैं. बाकी के 25 जिलों के मुकाबले इन्हीं 15 जिलों में अपराधियों का तांडव ज्यादा जारी है. बाकी के 25 जिलों के मुकाबले यहां मौत का ज्यादा खेल खेला जाता है।

बिहार में साल 2019 में हुई अपराध की घटनाओं के आंकड़े जारी कर दिए गए हैं। एससीआरबी की वेबसाइट पर जारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 में बिहार में 3138 मर्डर हुए थे. इन 15 जिलों में सीवान, मुजफ्फरपुर, वैशाली, भोजपुर, पटना, जहानाबाद, गया, शेखपुरा, नालंदा, लखीसराय, जमुई, बेगूसराय, खगड़िया, मधेपुरा और पूर्णिया के नाम शामिल हैं. ये ऐसे जिले हैं जहां अन्य जिलों के मुकाबले हत्या की वारदात ज्यादा हुई। हत्या की अपराध दर (प्रति लाख की आबादी पर) 2.9 रही।

सरकार ने दहेज़ प्रथा को रोकने के लिए भी कई सख्त कानून बनाये हैं लेकिन दहेज़ हत्याओं की संख्या में भी इजाफा हुआ है. पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सीवान, सारण और पटना समेत कुल 17 जिले ऐसे चिन्हित किये गए हैं जहां सबसे ज्यादा दहेज़ के लिए हत्याएं हुई हैं. 2018 में जहां दहेज हत्या की 1107 घटनाएं दर्ज हुईं वहीं 2019 में यह संख्या बढ़कर 1120 हो गईं.

एसिड अटैक की राज्य में जितनी भी घटनाएं दर्ज की गई हैं, उनमें सबसे ज्यादा घटनाएं पूर्वी चंपारण, मधुबनी, कैमूर, खगड़िया, मुंगेर और कटिहार से सामने आई हैं. वहीं, अपहरण के ज्यादतर मामले सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, सारण, वैशाली, पटना, रोहतास, जहानाबाद, नालंदा, लखीसराय, भागलपुर समेत 15 जिलों में हुई.

साल 2019 में सूबे में रेप की 730 घटनाएं सामने आईं. वहीं 2018 में 651 मामले सामने आए थे. अन्य जिलों के मुकाबले दरभंगा, सुपौल, अररिया, किशनगंज, खगड़िया, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, शेखपुरा, नवादा, गया, अरवल, जहानाबाद और पटना में बलात्कार से जुड़ी घटनाएं ज्यादा थीं.

आंकड़ों के अनुसार बिहार में 2018 में 30916 चोरियां हुई थीं जबकि लूट के 1731 मामले सामने आये थे. वहीं 2019 की बात की जाए तो चोरियों की संख्या बढ़कर 34971 हो गई हैं जबकि लूट के मामले 2398 हो गए हैं.

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