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लाइव बिहार: 2020 का बिहार विधानसभा का चुनाव कई मायने में यादगार रहेगा. इस बार सबसे ज्यादा जनप्रतिनिधियों का बहिष्कार हो रहा है. सीटिंग विधायक को अपने ही क्षेत्र में भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. विधायक जब फिर से प्रत्याशी बनकर अपने क्षेत्र में लोगों से संपर्क करने जा रहे हैं तो उनके विरोध में नारे लगाए जा रहे हैं. काला झंड़ा दिखाया जा रहा है. और तो और विरोध ऐसा हो रहा है कि उन्हें उलटे पांव वापस लौटने पर विवश होना पड़ रहा है.

ताजा मामला भोजपुर जिले के अगिआंव विधानसभा क्षेत्र से जेडीयू प्रत्याशी प्रभुनाथ राम का अपने ही क्षेत्र में जनता के भारी विरोध का सामना करना पड़ा. अजीमाबाद के चिपुरा गांव में जनसंपर्क के दौरान ग्रामीणों ने उनकी गाड़ी को घेर लिया और वापस जाने पर मजबूर कर दिया. इस दौरान उन्हें काले झंडे भी दिखाए गए. उनकी गाड़ी पर पथराव भी बात कही जा रही है. जिसका वीडियो वायरल हुआ है.

वीडियो में दिख रहा है कि बड़ी संख्या में ग्रामीण प्रभुनाथ वापस जाओ के नारे लगा रहे हैं. साथ में रोड नहीं, तो वोट नहीं के नारे भी लग रहे हैं. ग्रामीणों के भारी विरोध के कारण प्रभुनाथ राम ने क़ाफ़िले को पीछे मोड़ना ही बेहतर समझा. उन्होंने इस घटना का आरोप महागठबंधन समर्थकों पर लगाया.

ऐसा नहीं की जनप्रतिनिधि के विरोध का यह पहली घटना है. इसके पहले मधुबनी के लौकहा में आपदा प्रबंधन मंत्री व स्थानीय जदयू विधायक लक्ष्मेश्वर राय को भी जनसंपर्क के दौरान लोगों ने घेर लिया था. उनसे पांच साल में किये कामों का हिसाब मांगा जाने लगा. इस बीच विधायक और उनके साथ मौजूद सुरक्षाकर्मी और कार्यकर्ता मौका देख निकल लिए.

वहीं 21 अक्टूबर को दरभंगा के बहादुरपुर विधानसभा में अपने लिए वोट मांगने पहुंचे खाद्य आपूर्ति मंत्री मदन सहनी को भी ग्रामीणों ने घेर लिया था. उनसे पूछा गया कि चुनाव जीतने के बाद एक बार भी जनता के बीच क्‍यों नहीं आये? इसके अगले ही दिन भाजपा कोटे से मंत्री व लखीसराय के स्थानीय विधायक विजय सिन्हा का भी उनके ही इलाके में विरोध हुआ था. इससे पूर्व एक मंत्री माहेश्वर हजारी को भी ग्रामीणों ने खदेड़ दिया था. जिसका वीडियो खूब वायरल हो रहा है.

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