लालू और ओवैसी की फाइल तस्वीर
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पटना डेस्कः लोकसभा चुनाव के दौरान मुसलमान आरक्षण का मामला काफी तेजी के साथ उछाला जा रहा है। कर्नाटक (Karnataka) में कांग्रेस सरकार ने मुसलमानों को ओबीसी में शामिल कर लिया है। राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग के इस खुलासे के बाद पीएम मोदी लगातार मुद्दा बनाने का प्रयास कर रहे थे। दूसरे तरफ कांग्रेस इस मुद्दे पर फूंक-फूंक कर कदम रख रही थी। एक तरफ तो कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में इस तरह की बातें की हैं जिसका अभिप्राय सीधा है कि मुसलमानों को आरक्षण मिलना चाहिए। भाजपा लगातार कांग्रेस मेनिफेस्टो का उदाहरण दे रही है पर कांग्रेस ने कभी भी इस मुद्दे पर मुंह नहीं खोला। संसाधन पर पहला हक पर अभी तक कांग्रेस इस बात पर सफाई देती रही है कि मुसलमानों के बारे में मनमोहन सिंह ने ऐसा कुछ नहीं कहा था। कांग्रेस सीधे-सीधे यह कभी स्वीकार नहीं करना चाहती थी कि वो मुस्लिम आरक्षण के समर्थक हैं। लेकिन राजद सुप्रीमो लालू यादव ने मुस्लिम आरक्षण की बात करके भाजपा को बड़ा चुनावी हथियार थमा दिया है। फिर भाजपा ने इसे लपक लिया है।

मुस्लिम आरक्षण पर लालू का बयान

बिहार में तीसरे चरण के मतदान के बीच राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर बयान देकर चुनावी खेल को दिलचस्प बना दिया है। लालू के बयान के बाद भाजपा को को बैठे-बिठाए एक बड़ा मुद्दा मिल गया है। लालू यादव ने विधानपरिषद के कार्यक्रम में कहा कि पूरे मुस्लिम समुदाय को आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि ‘वोट हमारे तरफ जा रहा है, बीजेपी वाले डर गए है। साथ ही कहा कि बीजेपी वाले संविधान को खत्म करना चाहते हैं। जनता भाजपा के एजेंडे को अच्छी तरह से समझ गई है।

लालू यादव का बयान बना मुद्दा

लालू यादव के बयान को पीएम मोदी ने बड़ा मुद्दा बना दिया है। मध्य प्रदेश चुनावी रैली में पीएम मोदी ने बिना लालू का नाम लिए कहा कि चारा खाने वाले एक नेता ने कहा कि मुसलमानों को पूरा आरक्षण मिलना चाहिए। पीएम ने कहा कि एससी, एसटी और ओबीसी को जो आरक्षण मिला है, वो ये लोग छीनकर पूरा का पूरा मुसलमानों को देना चाहते हैं। जिसे देश की जनता कभी बर्दाश्त नहीं करेगी। इसका जवाब जनता चुनाव में देगी और इंडी गठबंधन के लोग अच्छी तरह से समझ रहे हैं। लालू राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी हैं। दरअसल लालू के बयान के बाद धार्मिक आधार पर वोटों के ध्रुवीकरण होने की आशंका है। बिहार की 40 में से 26 सीटों पर मतदान शेष है। लालू यादव ने जिस समय मुसलमानों को आरक्षण का बयान दिया, उस समय अररिया, सुपौल, मधेपुरा, खगड़िया और झंझापुर में मतदान हो रहा था तो दोपहर तक पीएम मोदी की तीखी प्रतिक्रिया भी आ गई।

ओवैसी ने बना दिया मुकाबला रोचक

लालू के बयान को बिहार में मुसलमानों को राजद और इंडी गठबंधन की तरफ खींचने की एक रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। लेकिन असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम(AIMIM) बिहार में कई सीटों पर लड़ रही है। बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने सवा परसेंट वोट के साथ तीन जिलों में पांच सीट जीत ली थी। बाद में उसके चार विधायक राजद में शामिल हो गए। ओवैसी की पार्टी ने सीमांचल के पूर्णिया, अररिया और किशनगंज जिले में ये सीटें जीती थीं। ओवैसी 20 विधानसभा सीट पर लड़े थे और उनकी पार्टी के प्रदर्शन के कारण राजद के नेताओं को लगता है कि तेजस्वी यादव की सरकार बनते-बनते रह गई। इस बार वो बिहार की 10 लोकसभा सीटों पर लड़ रहे हैं। जाहिर है कि महागठबंधन को ओवैसी की वजह से मुस्लिम वोटों के बंटवारे का डर सता रहा है।

NDA और महागठबंधन के खिलाफ उतारा प्रत्याशी

ओवैसी ने किशनगंज के अलावा पाटलिपुत्र, शिवहर, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, वाल्मीकि नगर, महाराजगंज, काराकाट, गोपालगंज और जहानाबाद में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, किशनगंज में चुनाव हो चुका है। सीमांचल की कई सीटों पर ओवैसी ने जब लड़ने से मना कर दिया था तो आरोप लगने लगा था कि इनका इंडी गठबंधन के साथ अल्पसंख्यक वोटों का बंटवारा रोकने की सहमति बन गई है, लेकिन अब असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने उन सीटों पर भी मुस्लिम कैंडिडेट दे दिए हैं जहां आरजेडी से भी मुसलमान लड़ रहा है।

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