पटना डेस्कः केंद्र सरकार ने बिहार की एक दीर्घ लंबित रेल परियोजना को मंजूरी दे दी है। केन्द्रीय कैबिनेट ने बिहार सहित देश के अलग अलग 7 राज्यों के 14 जिलों से होकर गुजरने वाली 8 नई रेल लाइन परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इसमें बिहार के लिए विक्रमशिला-कटारेह रेल लाइन भी शामिल है। कैबिनेट से हरी झंड़ी मिलने के बाद बिहार को लेकर बड़ी सौगात होगी। इससे पूर्वी बिहार के भागलपुर जिले में गंगा नदी के दो छोरों पर बसे इलाकों को रेल मार्ग से जोड़ने का रास्ता साफ हो जाएगा। बेहतर क्निक्टिविटी के साथ ही उत्तर और दक्षिण बिहार को रेल मार्ग से जोड़ने का एक और वैल्किप लाइन हो जाएगा।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार ओडिशा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, झारखंड, बिहार, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल जैसे सात राज्यों के 14 जिलों को कवर करने वाली आठ परियोजनाओं से भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में 900 किलोमीटर की वृद्धि होगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 24 हजार 657 करोड़ रुपये की कुल अनुमानित लागत वाली आठ रेलवे परियोजनाओं को मंजूरी दी। इसमें बिहार का विक्रमशिला-कटारेह रेल लाइन भी शामिल है। इस परियोजना की लागत लगभग 2549 करोड़ रुपये होगी।
रेल विभाग के सूत्रों के अनुसार इस परियोजना के तहत भागलपुर में गंगा पर जो पुल बनना है उसका एक सिरा भागलपुर के प्रमुख तीर्थ स्थल बटेश्वर में मिलेगा तो दूसरा नवगछिया-कटिहार रेलखंड के कटरिया स्टेशन के पास होगा। भागलपुर प्रमंडल का यह पहला रेल पुल होगा, जो गंगा नदी पर बनेगा। सबसे अहम यह कि इस परियोजना के क्रियान्वित होने से नवगछिया और भागलपुर रेलखंड के बीच सीधा जुड़ाव हो जाएगा। अभी नवगछिया जाने वालों के लिए सड़क संपर्क तो है, लेकिन ट्रेन से मुंगेर के रास्ते जाना होता है। इस परियोजना के पूरा होने से न केवल ये दोनों समनांतर लाइन एक दूसरे से जुड़ेंगी, बल्कि निर्माणाधीन पीरपैंती-जसीडीह रेलखंड के जरिये आसनसोल-किउल रेलखंड से भी सीधा जुड़ाव हो जाएगा।
विक्रमशिला-कटरिया रेल लाइन को लेकर वर्ष 2019 में डीपीआर तैयार किया गया था तब इसकी लागत 2182 करोड़ रुपये आंकी गई थी. हालांकि उस समय रेलवे बोर्ड के मेंबर इंजीनियर विश्वेश चौबे ने बिहार सरकार को पत्र लिखकर परियोजना की आधी राशि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था. वहीं बिहार सरकार ने तब सिर्फ सभी प्रशासनिक और स्थानीय मदद देने की बात कही थी. वहीं पांच वर्षों के बाद अब केंद्रीय कैबिनेट ने बिहार की इस दीर्घ लंबित परियोजना को मंजूरी दे दी है. इससे पूर्वी बिहार का सीधा रेल सम्पर्क कोशी और सीमांचल के इलाके से हो जाएगा।
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