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केंद्रीय कारा पूर्णिया में जेल सुधार कार्यक्रम के तहत अशिक्षित बंदियों को शिक्षित करने के उद्देश्य से  ग्रामीण शिक्षा एवं लोक कलामंच द्वारा संचालित शाम की पाठशाला द्वारा ” शाम की पाठशाला कक्षा”की शुरुआत केंद्रीय कारा अधीक्षक राजीव कुमार झा द्वारा फीता काट और दीप प्रज्वलित कर किया गया,

दीप प्रज्वलन में जेल उपाधीक्षक वीरेंद्र कुमार रॉय एवं संतोष पाठक, भिखारी ठाकुर पुरस्कृत मिथिलेश राय एवं शाम की पाठशाला के संस्थापक शशि रंजन कुमार मौजूद थे. दीप प्रज्वलन उपरांत जेल अधीक्षक ने चयन किये हुए अशिक्षित बंदियों को बोर्ड पर पढ़ाया.  बंदियों में भी अपने अधिकारी को पढ़ाते देख उन सबो का पढ़ाई के प्रति उत्साह दिख रहा था।

जेल में भी क ख ग घ की गूंज सुनाई देने लगी

पढ़ाते हुए अधीक्षक ने कहां की जेल यातना गृह नही हैं. अब ये सुधार गृह हैं. आप जिस भी वजह से यहाँ में आये हैं.  यहाँ से बाहर निकले के बाद आपमे एक सभ्य चरित्र का निर्माण हो चुका होगा। जो कुछ भी पढ़ाना लिखना नही जानते हैं , वो शाम की पाठशाला में पढ़ाई कर अक्षर ज्ञान सीख कर जब बाहर जायेंगे त्तो समाज के लिए भी एक उदाहरण स्वरूप होंगे। उन्होंने शाम की पाठशाला के युवा शशि रंजन का मनोबल बढ़ाते हुए उनके द्वारा चलाये जा रहे प्रौढ़ शिक्षा की मुहीम की सराहना किये.

भिखारी ठाकुर पुरस्कृत मिथिलेश रॉय ने जेल के सुधारवादी कार्यक्रमों की सराहना करते हुऐ जेल अधीक्षक महोदय को धन्यवाद दिया कि उनके द्वारा कला संस्कृति, शिक्षा,चित्रकला  व अन्य  कई महत्वपूर्ण कार्य किये जा रहे हैं, साथ ही पंजीकृत सामाजिक संगठनों को जेल सुधार कार्यक्रम से जोड़ रहे हैं।

उन्होंने बंदियों को बताया की शशि रंजन द्वारा शाम की पाठशाला जेल से बाहर बिहार के कई जिलों में समाज से वंचित तबके के लोगो को शिक्षित करने का कार्य कर रही हैं,युवाओ को शशि रंजन कुमार से प्रेरणा भी मिल रही हैं। मिथिलेश रॉय ने कहां की मुजफ्फरपुर में तत्कालीन DM के समक्ष खुदीराम बोस केंद्रीय कारा मुजफ्फरपुर करने का प्रस्ताव रखा था जिसे स्वीकृति कर लिया गया था, उसी तर्ज पर 

केंद्रीय कारा पूर्णिया का नाम बदल कर फणीश्वरनाथ रेणु केंद्रीय कारा पूर्णिया करने का प्रस्ताव जेल अधीक्षक के समक्ष रखा हैं,

वही शाम की पाठशाला के संस्थापक ई0 शशि रंजन कुमार ने कक्षा की शुरुआत की जाने पर खुशी जताते हुए कँहा की पहला मौका हैं जब निरक्षर बंदियों को शिक्षा के मुहिम से जोड़ रहे हैं, ये एक प्रयोग के तौर पर होगा, पूर्व में भी जेल सुधार से सम्बंधित सफल कार्यक्रम किया जा चूका हैं।

वही मंच संचालन कर रहे जेल उपाधीक्षक वीरेंद्र कुमार रॉय और संतोष पाठक ने कहां की शिक्षा से जुड़कर बंदी जब बाहर निकलेंगे तो अंगूठा के साथ ही हस्ताक्षर भी करेंगे. ये हम सबो का पूर्ण विश्वास हैं। उद्घाटन सत्र कार्यक्रम के अंत पढ़ाई करने वाले बंदियों को सिलेट पेंसिल ,कॉपी और केंद्र में 2 बोर्ड दिया गया। कार्यक्रम में बंदियों के साथ अन्य जेल कर्मी उपस्थित थे।

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