Desk: राष्ट्रीय जनता दल यानी राजद (RJD) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) एक ऐसा चेहरा, जिसने फर्श से सीधे अर्श तक का मुकाम हासिल किया। लालू अपने व्यक्तित्व की बदौलत बिहार के मुख्यमंत्री (Bihar CM) बने। कई बार केंद्र में मंत्री बने। उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) आजकल एक ऐसे काम को पूरा करने की कोशिश में लगे हैं, जिसे उनके पिता भी अधूरा छोड़ दिया था। ऐसा काम जिसे बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) भी पूरा नहीं कर पाए। सवाल यह है कि क्या तेजस्वी इसे कर पाएंगे।
असम विधानसभा चुनाव में आजमाएंगे किस्मत
लालू के लाल तेजस्वी यादव ने असम के विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी को उतारने का एलान कर दिया है। असम में राष्ट्रीय जनता दल पहली बार चुनाव नहीं लड़ रहा है, बल्कि इससे पहले भी दो बार यह पार्टी असम में खम ठोंक चुकी है। 2006 के विधानसभा चुनाव में राजद असम विधानसभा की 7 सीटों पर चुनाव लड़ा था। हालांकि सभी सीटों पर राजद के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। पार्टी को इन सीटों पर एक फीसद से भी कम मत मिले थे।
2001 में भी छह सीटों पर लड़े थे राजद के उम्मीदवार
2001 के चुनाव में भी राजद असम की छह सीटों पर मैदान में उतरा था। हर सीट पर पार्टी के उम्मीदवार की जमानत जब्त हुई। इससे पहले 1996 के असम विस चुनाव के वक्त राजद का अस्तित्व ही नहीं था। राजद की स्थापना जनता दल से अलग होने के बाद 1997 में हुई। 1996 के चुनाव में जनता दल असम की 34 सीटाेें पर चुनाव लड़ा था। पार्टी को करीब दो फीसद मत मिले थे और हर सीट पर उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई थी।
15 साल बाद असम के चुनावी समर में राजद
2011 और 2016 के विधानसभा चुनाव में राजद ने असम का रुख नहीं किया। करीब 15 साल के बाद लालू की पार्टी दोबारा असम के चुनावी समर में अपनी किस्मत आजमाने उतर रही है। हालांकि तब और अब में एक बड़ा फर्क है। तब पार्टी की कमान सीधे तौर पर लालू प्रसाद यादव के हाथ में हुआ करती थी। आज की तारीख में भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू ही हैं, लेकिन तेजस्वी पार्टी के नेतृत्वकर्ता बनकर तेजी से उभर रहे हैं।
2001 से ही किस्मत आजमा रहा जदयू
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू भी असम से 2001 से ही लगातार चुनाव लड़ रही हैै। एक बार भी पार्टी को किसी सीट पर कामयाबी नहीं मिली। 2001 में 6, 2006 में 12, 2011 में 2 और 2016 में 4 सीटों पर जदयू के उम्मीदवार मैदान में उतरे। चिराग पासवान की पार्टी लोजपा भी 2006 में 15 जबकि 20016 में 9 सीटों पर असम में चुनाव लड़ चुकी है। उत्तर प्रदेश की पार्टी सपा भी असम में किस्मत आजमाती रही है।
इस बार खास है तेजस्वी की तैयारी
इस बार तेजस्वी की तैयारी खास है। उनकी कोशिश यह है कि जीत की गुंजाइश वाली सीट पर ही जोर आजमाया जाए। उनकी नजर हिदी भाषी लोगों की बहुलता वाली सीटों पर है। ऐसी सीट या तो गुवाहाटी के आसपास है या फिर अपर असम में तिनसुकिया और आसपास के जिलों में। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि राजद के लिए अकेले दम पर असम में सीट हासिल करना संभव शायद ही हो। असम में जीत का सेहरा तो तभी बंधेगा जब कांग्रेस और एआइडीयूएफ के मजबूत गठबंधन में जगह मिले और ये दल तेजस्वी को जीत की गुंजाइश वाली सीट देने पर राजी हों। असम में चुनावी रणनीति के लिए तेजस्वी ने अब्दुल बारी सिद्दिकी और श्याम रजक को कमान सौंपी है। इस बीच वे खुद भी असम होकर आ गए हैं।
कांग्रेस और एआइडीयूएफ के साथ गठबंधन की तैयारी
तेजस्वी ने पिछले दिनों बताया कि असम में उनकी पार्टी कांग्रेस और अन्य दलों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। इसके लिए उनकी बात कांग्रेस नेतृत्व के साथ ही ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट यानी एआइयूडीएफ के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल से भी हो चुकी है। असम में तेजस्वी उन सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, जहां हिंदी भाषियों की संख्या अच्छी-खासी है। माना जा रहा है कि तेजस्वी बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट के साथ भी तालमेल की गुंजाइश को देख रहे हैं। यह पार्टी कभी बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ती थी।