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बिहार में पर्व एवं त्योहारों के लिए सबसे पवित्र माह माने जाने वाले कार्तिक माह में जहां भगवान भाष्कर की नगरी देव में स्थित सूर्य मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी रहती थी और जिस मन्दिर के प्रांगण में पैर रखने की जगह तक नहीं मिलती थी वहां आज सन्नाटा पसरा हुआ है.

कोरोना संक्रमण को लेकर सूर्य मंदिर में भीड़ लगाने पर रोक लगा दी गयी है. जिसके कारण काफी कम संख्या में श्रद्धालु मंदिर में सैनिटाइजर से हाथों को सैनिटाइज कर यहां विद्यमान भगवान भास्कर के तीनों स्वरूप का दर्शन कर रहें हैं. यहां आए श्रद्धालुओं ने भगवान भास्कर से देश को कोरोना से मुक्त करने की मांग की.
र व्यवसाय दम तोड़ रहे हैं. दीपावली और छठ पर्व को लेकर जिले के लोग उत्साहित हैं मगर कुम्हारों के चाक की तेज रहने वाली रफ्तार धीमी पड़ गयी है, जिसको लेकर कुम्हार समुदाय के लोग उदास हैं.

कोरोना को लेकर बाजार की रौनक समाप्त होने से दीयों की बिक्री पर भी काफी असर पड़ा है. दीपावली में अब घरों को दीयों की जगह लोग कृत्रिम लाइट एवं मोमबत्तियों से सजाने लगे हैं. ऐसी स्थिति में लागत निकालना मुश्किल हो गया है. कुम्हारों का कहना है कि कोरोना को लेकर सरकार द्वारा नदी, पोखरा, कुंड एवं तालाबों में सार्वजनिक रूप से छठ पर्व मनाने पर भी रोक लगा दी गयी है. इसलिए छठ के दौरान दीपक के अलावे बेची जाने वाली कोशी, हाथी चूल्हे की बिक्री पर काफी असर पड़ा है. पूरे परिवार के साथ इस व्यवसाय से जुड़कर काम करने के बाद भी तंगहाली में जीवन गुजर रही है.

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